धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें।
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अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
Glory to Girija’s consort Shiva, who is compassionate to your destitute, who normally shields the saintly, the moon on whose forehead sheds its lovely shiv chalisa lyricsl lustre, As well as in whose ears are classified shiv chalisa lyricsl as the pendants on the cobra hood.
संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
स्तुति चालीसा शिवहि, shiv chalisa lyricsl पूर्ण कीन कल्याण॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥